प्राकृतिक चिकित्सा

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है – स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।

आयुर्वेद का अनुपम उपहार

अच्युताय हरिओम उत्पाद

स्वास्थ्य का सच्चा मार्ग

स्वास्थ्य का मूल आधार संयम है।

सर्दियों के लिए विशेष

अच्युताय हरिओम उत्पाद

Achyutaya HariOm Panchamrit Ras :अच्युताय हरिओम पंचामृत रस : स्वास्थय व ऊर्जा प्रदायक, पाचक, व रोगनाशक अदभुत योग

Achyutaya HariOm Santkripa Surma : अच्युताय हरिओम संतकृपा सुरमा - आँखों को सुरक्षित, निरोगी, तेजस्वी बनाने की क्षमता रखने वाला अदभुत योग

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Wednesday, 21 August 2013

बस 2 मिनट ये करें हो जाएगा टेंशन और हाईब्लडप्रेशर नौ दो ग्यारह

बस 2 मिनट ये करें हो जाएगा टेंशन और हाईब्लडप्रेशर नौ दो ग्यारह




कान्स्टीपेशन, तनाव, हाई ब्लडप्रेशर ये बीमारियां आजकल आम हो चली है। अधिकांशत: इन बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ये बीमारियां ऐसी हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए  कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दो मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें।

ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए. ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए।

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बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए।

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पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार को ढीला छोड़ दीजिए।

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लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए।

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इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी।

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अपने सांस पर ध्यान दीजिए।

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अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए।

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इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए।

कम से कम 3० सांस तक आप इसी अवस्था में रहें।

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अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।

इस विधि को दिन में जितनी बार चाहें दोहरा सकते हैं

(  मानसिक तनाव और उच्च रक्तचाप में अच्युताय शंखपुष्पी सिरप लेना अत्यंत लाभप्रद होता है ।)

आयुर्वेद से जुड़ी ये बाते हैं अजीब लेकिन सच !

आयुर्वेद से जुड़ी ये बाते हैं अजीब लेकिन सच !


आयुर्वेद एक संपूर्ण विज्ञान है, जिसके कई पहलूओं को जानना आज के विज्ञान के लिए चुनौती है। आयुर्वेद के ग्रन्थ चरक संहिता के इन्द्रिय स्थान में किसी रोगी के ठीक होने के लक्षणों तथा मृत्यु सूचक लक्षणों को देखकर पहचानने का वर्णन है,जो बड़ा रोचक है ऐसे ही कुछ रोचक पहलूओं को आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है:-

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यदि रोगी दही ,अक्षत,अग्नि,लड्डू ,बंधे हुए पशु, बछडे  के साथ गाय ,बच्चे के साथ स्त्री,सारस ,हंस,घी.सैंधा नमक ,पीली सरसों ,गोरोचन,मनुष्यों से भरी गाडी आदि देखता हो तो आरोग्य प्राप्त  करता है।

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रोगी द्वारा अच्छी सफ़ेद वस्तुओं को देखना,मधुर रस ,शंख ध्वनि सुनना आदि भी शीघ्र ठीक होने के लक्षण बताये गए हैं ।

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ऐसे ही आयुर्वेद में स्वप्न से सम्बंधित अरिष्ट लक्षणों को भी बताया गया है-जैसे यदि व्यक्ति सपने में स्नान और चन्दन का लेप किया हुआ दिखे तहा मक्खियाँ उसके शरीर पर बैठी हों तो वह व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त होकर मृत्यु को प्राप्त होगा ऐसा वर्णित है।
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ऐसे ही जो व्यक्ति स्वयं को सपने में नग्न देखता है,तथा संपूर्ण शरीर में घृत लगाया हुआ ,तथा जिस अग्नि में  ज्वाला नहीं है उसमें हवन करता हुआ देखता है वैसे व्यक्ति के असाध्य त्वचा रोगों से पीडि़त होकर मृत्यु की संभावना बतायी गयी है।

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जो व्यक्ति श्रम न करने पर भी थकान महसूस करे ,बिना कारण बैचैन हो,जहां मोह नहीं करना चाहिए वहां मोह करे,पूर्व में क्रोधी न हो पर अचानक क्रोधी स्वभाव का हो जाय,मूर्छा एवं प्यास से पीडि़त हो तो समझें वह मानसिक रोग से पीडि़त हो जाएगा।

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यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में कुत्ते ,ऊंट क़ी  सवारी करता हुआ दक्षिण दिशा क़ी ओर जाता हो तथा विचित्र प्रकार की आकृतियों  के साथ मदिरा पान करता हुआ स्वयं को देखता हो तो वह रोगों के समूह यक्ष्मा से पीडि़त होगा ,ऐसा वर्णित है।


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यदि रोगी के उदर पर सांवली,ताम्बे के रंग क़ी ,लाल,नीली ,हल्दी के तरह क़ी रेखाएं उभर जाएँ तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।

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यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड जाएँ तथा उसे वेदना न हो तो रोगी क़ी आयु पूर्ण हो गयी है, ऐसा मानना चाहिए।

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व्यक्ति  स्वप्न में अपने शरीर पर लताएं उत्पन्न देखे  और पछी  उसपर घोंसले बनाकर रहे हुए दिखें तो उसके जीवन में संदेह है इसी प्रकार यदि स्वप्न में व्यक्ति यदि अपना बाल उतरा हुआ देखे तो भी वह रोगी होगा  ऐसा उल्लेखित है।

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जिस व्यक्ति का श्वांस छोटा चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शान्ति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है।

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यदि रोगी व्यक्ति स्वप्न में पर्वत ,हाथी घोड़े पर स्वयं को या अपने हितैषियों को चढ़ते हुए देखता है,साथ ही समुद्र या नदी में तैरते हुए उसको पार करता हुआ देखता है ,चन्द्रमा,सूर्य एवं अग्नि  को प्रकाशित देखता है  तो वह आरोग्य को प्राप्त होगा।

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इसी प्रकार व्यक्ति का थूक या मल पानी में डूब जाय तो आयुर्वेद के ऋषियों के अनुसार उसकी मृत्यु निश्चित मानना चाहिए।

संभवत: आयुर्वेद के मनीषियों द्वारा व्यापक अनुभव के आधार पर एकत्रित यह ज्ञान, चिकित्सकों एवं रोगी के परिवारजनों की जानकारी के लिए रोगी के ठीक होने और न होने की संभावना को व्यक्त करने के उद्देश्य से बताये गए हों,जो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। 

Tuesday, 20 August 2013

खर्च करें दस मिनट और पाएं गजब की वर्किंग पॉवर

खर्च करें दस मिनट और पाएं गजब की वर्किंग पॉवर



अनुशासन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। हर व्यक्ति अपने विवेक से अनुशासित रहता है। जब तक विवेक प्रबुद्ध और जागरूक नहीं हो जाता है। ऐसे में सफल होने के लिए विवेक का जागृत होना जरूरी है। इसके लिए नीचे लिखी योगमुद्रा सबसे अच्छा उपाय है।



विधि- अनुशासन मुद्रा के लिए तर्जनी यानी इंडैक्स फिंगर अंगुली को सीधा रखें। शेष तीन अंगुलियों-कनिष्ठा छोटी अंगुली अनामिका   (रिंग फिंगर) और मध्यमा (मिडिल फिंगर) को अंगुठे के साथ मिलाएं। इस तरह बनने वाली मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहा गया है।
 
आसन- पद्मासन व सुखासन में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा सकता है।

 
समय- रोज आठ मिनट से प्रारंभ करें। एक महिने तक रोज एक-एक मिनट बढ़ाएं।

 
लाभ- इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासित होने लगता है। नेतृत्व क्षमताऔर कार्य क्षमता बढ़ती है। अपने आप में पौरुष का अनुभव होता है।


जब खाना खाने का मन ही न करे तो आजमाएं ये अचूक नुस्खे

जब खाना खाने का मन ही न करे तो आजमाएं ये अचूक नुस्खे

कहते हैं भूखे पेट भजन ना होय - यह उक्ति अक्षरश:  सत्य है, और भूख न लगना अनेक रोगों में एक लक्षण भी होता है।

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अगर भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो ,फिऱ भी भोजन अच्छा न लग रहा हो तो -अरुचि ,

भोजन का नाम सुनने ,स्मरण करने ,देखने या स्पर्श करने से या गंध से ही अनिच्छा ,उद्वेग और द्वेष होना -भक्त्द्वेश,

क्रोध के कारण ,डर जाने से या द्वेष  के कारण मन के अनुकूल भोजन रहने पर भी भोजन ग्रहण करने क़ी इच्छा न होना - अभक्तछंद के नाम से जाना जाता है।


आयुर्वेद इन सभी के पीछे शारीरिक और मानसिक कारण मानता है, आधुनिक विज्ञान भी गेस्ट्राइटीस,गेस्ट्रिककैंसर ,एनीमिया ,हाईपोक्लोरोहाईड्रीया आदि कारणों से इसे उत्पन्न होना मानता है। मानसिक कारणों में शोक,लोभ, क्रोध तथा मन के लिए अरुचि उत्पन्न करने वाले कारणों से इसकी उत्पत्ति  माना गया है।

आइये आपको हम कुछ साधारण आयुर्वेदिक नुस्खे बताते हैं जिससे इसे दूर किया जा सकता है ,लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक  के परामर्श से हो तो बेहतर होगा।

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भूना सफेद जीरा -250 मिलीग्राम ,सैंधा नमक -125 मिलीग्राम ,भूनी हींग -500 मिलीग्राम ,चीनी - 250मिलीग्राम ,काली मिर्च -125 मिलीग्राम ,पीपर-250 मिलीग्राम इन सबको सुबह- शाम  देने से रोगी में लाभ मिलता है।

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काली मिर्च-250मिलीग्राम ,सौंफ-250मिलीग्राम ,सैंधा नमक -250 मिलीग्राम ,जीरा -250 मिलीग्राम ,चीनी -2.5 ग्राम एवं भूनी हींग 500मिलीग्राम को चूर्ण के रूप में सुबह शाम गुनगुने पानी से लेना फायदेमंद रहता है।
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एक ही  प्रकार के भोजन को लगातार लेने से बचना चाहिए।

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रोगी को मनोनकूल  सादा एवं हल्का भोजन देना चाहिए।
- भोजन से पहले संतकृपा चूर्ण (आश्रम का ) का फाका मार लेना चाहिए।

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भोजन से पूर्व अदरख  या सौंठ  का प्रयोग  भी भूख बढाता है।

भूख बढाने के लिए अच्युताय लिवर टोनिक सिरप अत्याधिक लाभप्रद है।

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कई बार मानसिक तनाव के कारण भी भूख नहीं लगती है,ऐसे में तनाव मुक्त होने मात्र से भूख लगने लगती है।
अत: हमें अपनी अग्नि का खय़ाल रखते हुए सात्विक,हल्का एवं स्वच्छ एवं पौष्टिक व् संतुलित आहार लेना चाहिए ,कहा भी गया है 'जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन।


शराब की आदत छुडाने के लिए

शराब की आदत छुडाने के लिए

Monday, 19 August 2013

नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए

नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए

चाहे कितना भी पुराना हो सिर दर्द दूर करेगा ये मीठा पाक

चाहे कितना भी पुराना हो सिर दर्द दूर करेगा ये मीठा पाक 


इसके मुख्यतः दो कारण हैं- एक पित्त की अधिकता व दूसरा कब्ज। इसमें दीर्घकाल तक सतत दर्द रहता है अथवा महीने-दो महीने या इससे अधिक समय पर सिरदर्द का दौरा सा पड़ता है। इसके निवारण के लिए 500 ग्राम बादाम दरदरा कूट लें। 100 ग्राम घी में धीमी आँच पर सेंक लें। 750 ग्राम मिश्री की गाढ़ी, लच्छेदार चाशनी बनाकर उसमें यह बादाम तथा जावंत्री, जायफल, इलायची, तेजपत्र का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम व 5 ग्राम प्रवालपिष्टी मिलाकर अच्छी तरह घोंट लें। थाली में जमाकर छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुरक्षित रख लें। 10 से 20 ग्राम सुबह दूध अथवा पानी के साथ लें। (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।) खट्टे, तीखे, तले हुए व पचने में भारी पदार्थों का सेवन न करें।
*सिर दर्द मिटाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में आप हमारे अन्य लेखों में विस्तार से हरिओमकेयर डॉट कॉम पर देख सकते है ।(

बादाम अपने स्निग्ध व मृदु-विरेचक गुणों से पित्त व संचित मल को बाहर निकाल कर सिरदर्द को जड़ से मिटा देता है। साथ में मस्तिष्क, नेत्र व हृदय को बल प्रदान करता है।

अमेरिकन बादाम जिसका तेल, सत्त्व निकला हुआ हो वह नहीं, मामरी बादाम अथवा देशी बादाम भी अपने हाथ से गिरी निकाल से इस्तेमाल करो तो लाभदायक है। अमेरिकन बादाम का तेल गर्मी दे के निकाल देते हैं।

बौद्धिक काम करने वालों के लिए तथा शुक्रधातु की क्षीणता व स्नायुओं की दुर्बलता में भी यह बादामपाक अतीव लाभकारी है। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सर्दियों में सेवन करने योग्य यह एक उत्तम पुष्टिदायी पाक है।
 (अच्युताय अमृत द्रव सिर दर्द मिटाने की एक अनुभूत औषधि है )

वर्षा ऋतु की विशेष

वर्षा ऋतु की विशेष


अभी वर्षा ऋतु है | इसे शास्‍त्रीय भाषा में आदानकाल बोलते है | जठराग्नि दुर्बल होती है | वायु, गैस की तकलीफें उभरती है | पित्त संचित होता है | अगर सावधान नहीं रहें तो पित्त व वात मिलकर हार्ट अटैक बना सकता है | इस आदानकाल में कब्जियत न रहे इसका ध्‍यान रखना चाहिए |

करने योग्य

१) पेट साफ़ रहे इसके लिए अच्युतायहरड-रसायन २ -२ गोली खाना | हरड रसायन , रसायन से बना हुआ टोनिक है दिनभर खाया हुआ टोनिक बन जायेगा |
२) शुद्ध वातावरण व शुद्ध जल का सेवन करना |
३) मधुर भोजन, चिकनाईवाला, शरीर को बल देनेवाला भोजन करना चाहिये और दोपहर के भोजन में नींबू, अदरक, सैंधा नमक, लौकी, मैथी, खीरा, तुरई आदि खाने चाहिए |
४) वर्षाऋतु में पानी गरम करके पीयें अथवा तो पानी की शुद्धता का ध्यान रखे |
५) वायुप्रकोप से जोडों मे दर्द बनने की संभावना है और बुढ़ापे में लकवा मारने की संभावना बढ़ जाती है | भोजन में लहसुन की छौंक लकवे से फाईट करता है |
६) चर्मरोग, रक्तविकार आदि बिमारियों की इस ऋतु में संभावना बढ़ जाती है | नींबू, अदरक, गाजर, खीरा स्वास्थ्‍यप्रद रहेगा |
७) सूर्यकिरण स्नान सभी ऋतुओं में स्वास्थ्‍य के लिए हितकारक है |
८) अश्विनी मुद्रा- श्वांस रोककर योनि संकोच लेना और मन में भगवान का जप करना इस सीज़न की बि‍मारि‍यों को भगाने की एक सुंदर युक्ति है |
न करने योग्य
  • १) गरम, तले हुए, रूखे, बासी, डबल रोटी, आटा लगा हुआ बिस्किट आदि स्वास्थ के लिए इस सीज़न में हितकर नहीं है । फास्ट फ़ूड से बचना चाहिए |
  • २) देर रात बारिश के सीज़न में न जागें |
  • ३) अधिक श्रम, अधिक व्यायाम न करें |
  • ४) खुले आकाश में सोना खतरे से खाली नहीं है ।
  • ५) ज्यादा देर तक शरीर भीगा हुआ न रखें | सिर गिला हो तो तुरंत पौंछ लें।
  • ६) भीगे शरीर न सोयें और रात्रि को स्नान न करें | मासिक धर्म आये तो तुरंत स्नान करके सूखे कपडे से अपने को पौंछ लें |

Rainy season special :-

This is rainy season now. In our scriptures, it is termed as Adaankaal. Digestive power remains weak. Windage related problems are on the rise. Pitta starts accumulating in the body. If proper care is not taken, Pitta and Vaat can come together to cause heart attack. One must also take care to avoid constipation during this period.

Things to do:

1. To keep the stomach clear, consume 2--2 tablets of Achyutaya  Harad Rasayan . This converts food consumed during the entire day into tonic.
2. Live in clear atmosphere and drink clean water at all times.
3. Should consume sweet foods, food with oil content, and ones which rejuvenate the body. In the afternoon meals, it is advised to take lemon, ginger, rock salt, bottle gourd, methi, cucumber, turai, etc.
4. In rainy season, either drink luke warm water or ensure proper cleanliness of drinking water .
5. Due to impact of Vayu(air) in the body, joint pain is a possibility and also increases the risk of paralysis in old age. Consuming fried garlic in meals helps fight against paralysis.
6. Chances of skin diseases, blood disorders, etc. increase during this season. Lemon, ginger, carrots, cucumber etc. are considered very healthy to avoid this.
7. Sun bathing is considered highly beneficial to health in all seasons.
8. Ashwini Mudra - Stop your breath and draw your reproductive region and then do japa of God's name in your mind. This is a beautiful technique to drive away all ailments of this season.

Things to avoid:

1. Hot, deep fired, dry, stale, double roti, biscuits coated with flour, etc. are not healthy for this season. Must also abstain from fast foods.
2. Should not stay awake late in the night in this season.
3. Avoid excessive exercising or work outs.
4. Sleeping under the open sky can be very dangerous.
5. Do not remain on a wet body in this season. If head becomes wet, wipe it out quickly.
6. Do not sleep with wet clothes and never take bath at night. During menstrual cycles, wipe your body straightaway with a dry piece of cloth after bath.

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