AD
Ad
Saturday, 26 January 2013
ब्रम्हचर्य सहायक प्राणायाम
January 26, 2013
1.योग और प्राणायाम(yog and pranayam), बलप्रद, वीर्यदोष, वीर्यवर्धक, स्वप्नदोष(night fall)
No comments
ब्रम्हचर्य सहायक प्राणायाम
सीधा लेट जाये पीठ के बल से.. कान में रुई के छोटे से बॉल बना के कान बंद कर देना | अब नजर नासिका पर रख देना और रुक-रुक के श्वास लेता रहें | आँखों की पुतलियाँ ऊपर चढ़ा देना ...शांभवी मुद्रा शिवजी की जैसी है| वो एकाग्रता में बड़ी मदद करती है | जिसको अधोमुलित नेत्र कहते है | आँखों की पुतली ऊपर चढ़ा देना ... दृष्टि भ्रूमध्य में टिका लेना ... जहाँ तीलक किया जाता है वहाँ | आँखे बंद होने लगेगी ... कुछ लोग बंद करते है तो मनोराज होता है, दबा के बंद करता है सिर दुखता है | ये स्वाभाविक आँखे बंद होने लगेगी | बंद होने लगे तो होने दो | शरीर को शव वत ढीला छोड़ दिया .... चित्त शांत हो रहा है ॐ शांति .... इंद्रिया संयमी हो रही है .... फिर क्या करें.. फिर कुंभक करें .. श्वास रोक दे ... जितने देर रोक सकते है ... फिर एकाक न छोड़े, रिदम से छोड़े ...बाह्य कुंभक ...अंतर कुंभक.. दोनों कुंभक हो सकते है | इससे नाडी शुद्ध तो होगी और नीचे के केन्द्रों में जो विकार पैदा होते है वो नीचे के केन्द्रों की यात्रा ऊपर आ जायेगी | अगर ज्यादा अभ्यास करेंगा आधा घंटे से भी ज्यादा और तीन time करें तो जो अनहदनाद अंदर चल रहा है वो शुरू हो जाएगा | गुरुवाणी में आया – अनहद सुनो वडभागियाँ सकल मनोरथ पुरे | तो कामविकार से रक्षा होती है और अनहदनाद का रस भी आता है, उपसाना में भी बड़ा सहायक है |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment