परिचय:-
जब आंव आने
का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसका इलाज सही तरीके से करना
चाहिए। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।
आंव रोग होने का कारण:-
जब किसी
व्यक्ति की पाचनशक्ति कमजोर पड़ जाती है तो उस व्यक्ति का पाचक अग्नि भी कमजोर हो जाती है जिसके
कारण भोजन के रस का सार पककर लेस के रूप में मल के साथ बाहर निकलने लगता है और व्यक्ति को आंव
का रोग हो जाता है।
आंव रोग होने का लक्षण:-
जब आंव आने
का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति के मल के साथ एक प्रकार का गाढ़ा तेलीय
पदार्थ निकलता है। आंव रोग से पीड़ित मनुष्य को भूख भी नहीं लगती है। रोगी को हर वक्त
आलस्य, काम में मन न लगना, मन बुझा-बुझा रहना तथा अपने आप में
साहस की कमी महसूस होती है।
आंव रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक
चिकित्सा से उपचार:-
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दिनों तक रसाहार पोषक तत्वों
(सफेद पेठे का पानी, खीरे का रस, लौकी का रस, नींबू का पानी, संतरा का रस, अनानास का रस, मठ्ठा तथा नारियल पानी) का अपने भोजन में उपयोग करना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक अपने भोजन में फलों का सेवन करना
चाहिए। इसके बाद कुछ दिनों तक फल, सलाद और अंकुरित पदार्थों का सेवन
करना चाहिए। इसके कुछ दिनों के बाद रोगी को सामान्य भोजन का सेवन करना
चाहिए।
- इसके
अलावा इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए
ताकि उसका पेट साफ हो सके।
- रोगी
के पेट पर सप्ताह में 1 बार मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा सप्ताह में 1 बार उपवास भी रखना चाहिए।
- आंव रोग से पीडि्त रोगी को घबराना नहीं चाहिए। रोगी को अपना
उपचार करने के साथ-साथ गर्म पानी में दही एवं थोड़ा नमक डालकर सेवन करना
चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को
प्रतिदिन सुबह तथा शाम को मट्ठा पीना
चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज
प्राकृतिक चिकित्सा से करने से आंव रोग
ठीक हो सकता है।
- इस रोग
से पीड़ित रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि
शरीर में पानी का कमी न हों क्योंकि शरीर में पानी की कमी के कारण कमजोरी आ
जाती है।
- आंव
रोग से पीड़ित रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद
होता है।
- यदि
रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे हल्का गर्म पानी पीकर उल्टी कर देनी चाहिए
ताकि उसका पेट साफ हो जाए।
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